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kahaniya-परिवर्तन

 परिवर्तन:

यह एक बस स्टैंड है। यात्रियों की चीख-पुकार और पॉपकॉर्न लड़कों की चीख-पुकार से अफरा-तफरी मच गई। इसी बीच नवीन हाथ में ब्रीफकेस लेकर बस स्टैंड में घुस गया। आंखों पर चश्मा, गले में सोने की चेन और सफारी ड्रेस पहने नवीन बेहद हैंडसम लग रहे हैं। वह बस के चढ़ने का इंतजार कर रहा है। इस बीच, नवीन ने बाबू के फोन पर पीछे मुड़कर देखा। कुछ ही दूरी पर उसके सामने एक टेढ़ी-मेढ़ी दाढ़ी और फटे-पुराने कपड़े वाला एक बूढ़ा आदमी था। नवीन ने लापरवाही से बूढ़े की ओर देखते हुए कहा कि क्या कह रहा है। बाबू गुडेम ने कहा कि बस यहीं रुकती थी। नवीन ने खुले तौर पर उस सवाल का हां में जवाब दिया और दूसरी तरफ मुंह फेर लिया। बाबू फिर! वही बूढ़े ने पुकारा। नवीन ने घृणा भरे चेहरे से आँखों से पूछा।


बाबू ने कहा कि यह बस जंक्शन पर रुकेगी, वह बूढ़ा जो नवीन की आंखों से डरता था। उसने यह कहते हुए दूसरी तरफ मुंह कर लिया कि यह रुक जाएगा। नवीन स्वच्छता को बहुत महत्व देते हैं। ऐसे नवीन एक अशुद्ध वृद्ध से बात करने में असहज महसूस करता है। इतना ही नहीं, जब इस बस स्टैंड पर इतने सारे यात्री थे, तो वह अपने आप से इतना कठिन पूछने के लिए अपने दिल में कोस रहा था। इस बीच, गुडेम बस आ गई और बिंदु पर रुक गई। बस में चढ़ने के लिए लोगों की भीड़ एक दूसरे को धक्का दे रही है। कुछ बस की खिड़की में रूमाल और ब्रीफकेस लगाकर सीटें आरक्षित कर रहे हैं। नवीन ने भी ब्रीफकेस को खिड़की से एक सीट पर रख दिया और नीचे रुके और यह सोचकर चारों ओर देखा कि वह सबके पीछे चल सकता है।

बस के अंदर से कुछ देर बाद बाबू! नवीन ने बस की ओर देखा और जोर से चिल्लाते हुए कहा, "इट्स यू, बाबू"। जिस बूढ़े को उसने पहले देखा था, वह एक आदमी को काले रंग की बीनी में पकड़े हुए और चिल्ला रहा था। नवीन को समझ नहीं आया कि क्या हुआ था और वह बस में चढ़ गया। बस में घुसते ही नवीन का ध्यान काले आदमी के हाथ में लगे ब्रीफकेस पर पड़ा। यानी वह चोर है। यह सोचकर उसने मन ही मन चोर पर घूंसे बरसाए। नवीन आया तो बूढ़ा रोते हुए चोर को छोड़कर चला गया। इसी बीच एक सिपाही ने मारपीट देखी और बस में आ गया। क्या हुआ यह जानने के बाद उसने चोर को डंडे से पीटा और बाहर निकाल लिया।


इसी बीच नवीन का ध्यान उस बूढ़े आदमी पर पड़ा जो बस की छड़ के पास थकान से कराह रहा था। दुख की बात है कि वह अपने कपड़ों से बहुत दुखी था, जिससे वह अब तक नफरत करता था। लेकिन बूढ़े आदमी, जिसने परवाह नहीं की, शब्दों से परे उसकी मदद की। अगर उसने चोर पर ध्यान नहीं दिया और पकड़ा होता, तो वह ब्रीफकेस में अपने अध्ययन प्रमाण पत्र, दो हजार रुपये के पैसे और कपड़े खो देता। इसलिए उसने अपनी गलती को जान लिया और मन ही मन सोचा कि उस बुढ़िया को हाथ से कस कर पकड़ कर उस भगवान का कर्ज चुका दूं और कह रहा था कि देखो दादाजी! तुम बहुत बोर लग रहे हो! मेरी सीट पर बैठो और कुछ देर आराम करो दादाजी! उसने उसे ले लिया और उसे अपनी सीट पर बिठा लिया।

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