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Kahaniya-बीरबल की बुद्धि से प्रभावित अकबर:

बीरबल की बुद्धि से प्रभावित अकबर:

एक दिन बादशाह अकबर एक पूर्ण सभा को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्हें शक हुआ। एक बार उन्होंने सभा की ओर देखा। अकबर पडुशा की नज़र के पीछे का अर्थ न जाने, सभा में सभी लोग चुप रहे। अकबर की आवाज ने चुप्पी तोड़ी और सभा में गूँज उठी। "क्या कोई दो या तीन शब्दों में सच और झूठ के बीच का अंतर बता सकता है?"
पादुषा के प्रश्न का उत्तर देने के लिए सभा में कोई नहीं आया। दरबारी ऐसे बैठे जैसे नींबू पानी पी रहे हों, सोच रहे हों कि जवाब देने से उनका क्या होगा। कुछ समय बाद पिडप्पा अकबर ने बीरबल की ओर देखा। वहीं बीरबल पादुशा के प्रश्न का उत्तर खोजने में अपने विचारों में व्यस्त दिखे।
अकबर: बीरबल मेरे सवाल का जवाब दो
बीरबल: इच्छा के भगवान! सच और झूठ के बीच की दूरी सिर्फ चार अंगुल की है!
अकबर और साथ ही सभा के सभी लोगों को बीरबल के उत्तर के पीछे का अर्थ नहीं सिखाया गया था।
अकबर: बीरबल क्या आप अपने उत्तर के बारे में विस्तार से बता सकते हैं?
बीरबल: ज़रूर भगवान! सभी जानते हैं कि महाराजा के आंख और कान के बीच की दूरी चार अंगुल है। यदि कान से जो सुना जाता है वह असत्य है, तो आंख से जो देखा जाता है वह सत्य है। बीरबल के स्पष्टीकरण की अकबर के साथ-साथ दर्शकों ने भी सराहना की। बीरबल की बुद्धि से प्रभावित होकर अकबर ने उन्हें एक हजार सोने के सिक्कों से सम्मानित किया।
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