अजीब समाधान:
श्री कृष्ण देवराय पांच सौ साल पहले हमारे दक्षिण भारत पर शासन करने वाले सम्राट थे। वे युद्ध में जितने कुशल थे, उतने ही काव्य में भी। उन्हें "साहित्य समरंगना चक्रवर्ती" की उपाधि मिली। अमुक्तमाल्यद राय द्वारा लिखी गई एक महान कविता है। राय के आठ महान कवि थे। उन्हें 'आठ दिग्गज' कहा जाता था। अल्लासानी पेद्दाना, नुकाथिम्मन, रामभद्र, धुर्जती, भट्टूमूर्ति, पिंगली सुराणा, मदयागरी मल्लाना, तेनाली रामकृष्ण रायल अस्थानकवि की किंवदंतियाँ थीं। उनकी सभा को "भुवन व्यास" कहा जाता था।
एक बार एक महान विद्वान राय के पास आया। वह कई भाषाओं में पारंगत है। तो समस्या यह है कि रायल सभा में कवि विद्वानों में से एक को अपनी मातृभाषा का पता लगाना है। रायलवरु ने अपने कवियों से इस समस्या का समाधान करने को कहा।
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यही मातृभाषा की महानता है। सुख-दुख में हमारे मुख से जो निकलती है, वही हमारी मातृभाषा है। मातृभूमि की भाँति मातृभाषा भी मधुर और अविस्मरणीय है।
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